इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उनका संगठन केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के खिलाफ सोमवार को ताजा सबूत पेश करेगा। केजरीवाल ने खुर्शीद एवं उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद पर अपने संगठन में धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
केजरीवाल ने रविवार को कानून मंत्री द्वारा अपनी सफाई में तस्वीरें प्रस्तुत करने के कुछ ही घंटे बाद कहा था कि हम सोमवार को सुबह 11.00 बजे सलमान खुर्शीद के खिलाफ ताजा सबूत पेश करेंगे। खुर्शीद ने अपने गैर सरकारी संगठन के कोष के दुरुपयोग के आरोप का खंडन करते हुए जवाब में विकलांगों के शिविर आयोजित होने के सम्बंध में तस्वीरें एवं कागजात प्रस्तुत किए थे।
केजरीवाल ने खुर्शीद के सबूतों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक खुर्शीद कानून मंत्री बने रहेंगे वह अपने खिलाफ सारे सबूत नष्ट कर सकते हैं। इस मामले में कोई भी निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर चुप रहने का कारण पूछा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? क्या वह नहीं सोचते कि खुर्शीद को इस्तीफा दे देना चाहिए?
वहीं, केन्द्र सरकार में कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने खुद के नेतृत्व वाले गैर सरकारी संगठन में कथित हेराफेरी के आरोपों को रविवार को साफ शब्दों में खारिज करते हुए कहा कि जहां तक उनका सरकार में बने रहने का सवाल है, इसके बारे पार्टी और सरकार तय करेगी लेकिन पार्टी के हित में वह कोई भी निर्णय करने में एक मिनट भी नहीं लगाएंगे। वह पहले पार्टी कार्यकर्ता हैं।
खुर्शीद ने संवाददाताओं से बेबाक बात करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री से मिलेंगे और अपनी बात रखेंगे। वह मेरी सरकार के नेता हैं, उन्हें इस बारे में जानने का हक है। दूसरी ओर आज केंद्र सरकार के दो और मंत्री जयराम रमेश और वी नारायणसामी खुर्शीद के खिलाफ लगे आरोपों पर उनके बचाव में खुलकर सामन आए और विश्वास जताया कि वह (खुर्शीद) सम्मान और सत्यनिष्ठा बरकरार रखते हुए आरोपों से बाहर आएंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी खुर्शीद का यह कहते हुए बचाव किया कि समाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल राजनीतिक स्थान की तलाश में हैं और इसके लिए वह कानून मंत्री के उत्तर प्रदेश में कार्य करने वाले ट्रस्ट के खिलाफ एक टेलीविजन चैनल की ओर से किए गए स्टिंग के आधार पर झूठे आरोप लगा रहे हैं।
लंदन से स्वदेश लौटने के बाद खुद के नेतृत्व वाले ट्रस्ट के कोष में हेराफेरी के आरोपों पर खुर्शीद ने कहा कि सरकार में उनके बने रहने के बारे में कोई भी निर्णय उन्होंने कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ दिया है लेकिन वह प्रधानमंत्री से मिलकर इस बारे में अपना पक्ष जरूर रखेंगे।
केन्द्रीय विधि मंत्री ने बातचीत के दौरान चुनौती दी कि इस मामले की जांच करायी जाए और आरोप साबित होने पर वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि इस आशय की खबर प्रसारित करने वाले टीवी चैनल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि हफलनामा गलत था, इसके बारे में साक्ष्य स्पष्ट नहीं है।
लुईस को कैसे पता होगा कि यह फर्जी है। इसलिए हमने उत्तर प्रदेश सरकार से इसके विभिन्न आयामों की जांच करने को कहा है। उत्तरप्रदेश सरकार रहस्यमय हलफनामे की जांच कर रही है जिसके बारे में संदेह व्यक्त किया गया है कि इस पर फर्जी हस्ताक्षर हैं। उत्तरप्रदेश सरकार को इसकी जांच करने दें।
गौरतलब है कि ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि राज्य सरकार के जिस वरिष्ठ अधिकारी के इस पर हस्ताक्षर हैं, उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि दस्तावेज पर उन्होंने हस्ताक्षर किया है। अशक्तों के कैम्प से जुड़े आरोपों पर विधि मंत्री ने दस्तावेज जारी करते हुए कहा कि वर्ष 2009 और वर्ष 2010 में अशक्त लोगों के लिए 34 कैम्प लगाए गए।
विधि मंत्री ने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र जांच हो, आरोप साबित होने पर मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि आरोप मुझसे संबंधित ट्रस्ट पर लगाए गए हैं, मेरी पार्टी पर नहीं। मेरी सरकार फैसला करेगी कि मेरे साथ क्या करना है। इस बारे में मैं निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री से मिलूंगा और अपनी बात रखूंगा।
खुर्शीद ने कहा कि वह सड़क पर शोर शराबा कर रहे किसी व्यक्ति के सवालों का जवाब देने नहीं आए हैं बल्कि इस विषय से जुड़े विभिन्न आयामों पर स्थिति स्पष्ट करने आए हैं। विधि मंत्री ने कहा कि मुख्य मुद्दा पूरी तरह से स्पष्ट है कि इस ट्रस्ट को 71 लाख रुपये दिए गए जिसकी वह अध्यक्षता कर रहे हैं और लुई (खुर्शीद की पत्नी) परियोजना निदेशक हैं। इस धनराशि की हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं।
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